Sources Amar Ujala, Lucknow, 28-06-2014, Page No.5
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को विधान परिषद में आश्वस्त किया कि वह वकीलों को पेंशन-भत्ता व बीमा सुविधाएं देने को तैयार है। सदस्यों के सवाल पर नेता सदन अहमद हसन ने बताया कि इस सिलसिले में प्रक्रिया चल रही है। न्यासी समिति से भी जरूरी जानकारियां मांगी गई हैं। वकीलों को सुविधाएं देने के लिए यूपी वेलफेयर फंड एक्ट में संशोधन करना होगा, जिसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया। सभापति गणेश शंकर पांडेय ने कार्य स्थगन सूचना अस्वीकार कर दी। पर, सरकार को अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए।
शून्य प्रहर में कांग्रेस के नसीब पठान, दिनेश प्रताप सिंह, भाजपा के विनोद पांडेय, डॉ. यज्ञदत्त शर्मा और सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने अलग-अलग सूचनाओं के माध्यम से यह मामला उठाया। सदस्यों ने तर्क दिया कि समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में इसका वादा भी किया था। चुनाव के दौरान पार्टी के नेताओं ने कई बार सरकार में आने पर अधिवक्ता कल्याण निधि बढ़ाने, जूनियर वकीलों को तीन वर्ष तक भत्ता देने और 60 वर्ष की उम्र पूरी कर लेने वाले अधिवक्ताओं को पेंशन देने की घोषणाएं की हैं। सरकार इन्हें पूरा करे। बसपा के गोपाल नारायण मिश्र ने कहा कि बसपा के शासन में 60 करोड़ रुपये दिए गए थे। पर, बाद में इसे घटा दिया गया। कहा कि राज्य सरकार अपने स्तर से भी संबंधित अधिनियम संशोधित करके वकीलों को इसका लाभ दे सकती है।
नेता सदन अहमद हसन ने कहा कि पार्टी पहले भी जब-जब सत्ता में रही तब-तब वकीलों के कल्याण के लिए कई काम किए। वकीलों को पेंशन व भत्ता पर भी प्रक्रिया शुरू करा दी गई है। न्यासी समिति से वित्तीय व्यय भार की जानकारी मांगी गई है। अधिवक्ताओं के कल्याण संबंधी योजनाओं के बारे पूरी पत्रावली वित्त विभाग को भेजी गई है। सरकार प्रयास कर रही है कि इस सिलसिले में सारी कार्यवाही जल्द से जल्द पूरी करा ली जाए।
लखनऊ। प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को विधान परिषद में आश्वस्त किया कि वह वकीलों को पेंशन-भत्ता व बीमा सुविधाएं देने को तैयार है। सदस्यों के सवाल पर नेता सदन अहमद हसन ने बताया कि इस सिलसिले में प्रक्रिया चल रही है। न्यासी समिति से भी जरूरी जानकारियां मांगी गई हैं। वकीलों को सुविधाएं देने के लिए यूपी वेलफेयर फंड एक्ट में संशोधन करना होगा, जिसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया। सभापति गणेश शंकर पांडेय ने कार्य स्थगन सूचना अस्वीकार कर दी। पर, सरकार को अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए।
शून्य प्रहर में कांग्रेस के नसीब पठान, दिनेश प्रताप सिंह, भाजपा के विनोद पांडेय, डॉ. यज्ञदत्त शर्मा और सपा के देवेंद्र प्रताप सिंह ने अलग-अलग सूचनाओं के माध्यम से यह मामला उठाया। सदस्यों ने तर्क दिया कि समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में इसका वादा भी किया था। चुनाव के दौरान पार्टी के नेताओं ने कई बार सरकार में आने पर अधिवक्ता कल्याण निधि बढ़ाने, जूनियर वकीलों को तीन वर्ष तक भत्ता देने और 60 वर्ष की उम्र पूरी कर लेने वाले अधिवक्ताओं को पेंशन देने की घोषणाएं की हैं। सरकार इन्हें पूरा करे। बसपा के गोपाल नारायण मिश्र ने कहा कि बसपा के शासन में 60 करोड़ रुपये दिए गए थे। पर, बाद में इसे घटा दिया गया। कहा कि राज्य सरकार अपने स्तर से भी संबंधित अधिनियम संशोधित करके वकीलों को इसका लाभ दे सकती है।
नेता सदन अहमद हसन ने कहा कि पार्टी पहले भी जब-जब सत्ता में रही तब-तब वकीलों के कल्याण के लिए कई काम किए। वकीलों को पेंशन व भत्ता पर भी प्रक्रिया शुरू करा दी गई है। न्यासी समिति से वित्तीय व्यय भार की जानकारी मांगी गई है। अधिवक्ताओं के कल्याण संबंधी योजनाओं के बारे पूरी पत्रावली वित्त विभाग को भेजी गई है। सरकार प्रयास कर रही है कि इस सिलसिले में सारी कार्यवाही जल्द से जल्द पूरी करा ली जाए।
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