और फाइलों में ही रह गया सुरक्षा प्लान - विकास बागी वाराणसी:
आतंक का नग्न तांडव देख चुके पुलिस-प्रशासन को शायद अब भी किसी हादसे का इंतजार है। पुलिस की आलमारी में पांच साल से बंद फाइल तो कम से कम यही बता रही है। सुरक्षा के नाम पर दूसरी व्यवस्था की बात तो दूर, अब तक कचहरी क्षेत्र में एक अदद क्लोज सर्किट कैमरा भी नहीं लगाया जा सका है। कलेक्ट्रेट व कचहरी में 23 नवंबर 2007 को हुए आतंकी विस्फोट के बाद सुरक्षा- व्यवस्था के लिए एक फूलप्रूफ प्लान बनाया गया। काशीवासियों को भरोसा दिलाया गया कि अब ऐसी घटना दोबारा नहीं होगी। राजनेताओं की तरह पुलिस भी लोगों को वादों का झुनझुना व मीडिया को अपनी योजनाओं का पिटारा थमाकर रात गई, बात गई वाले अंदाज में चुप बैठ गई। सीओ ने बनाई थी योजना कचहरी में धमाके के बाद आला अफसरों ने सिक्योरिटी प्लान के लिए तत्कालीन सीओ संसार सिंह को कमान सौंपी। सुरक्षा बिंदुओं की बारीकी से जांच के बाद 4 दिसंबर 2007 को सीओ कैंट ने एसएसपी से लगायत पुलिस व प्रशासन के आला अफसरों को प्लान सौंपा। क्या थी योजना : सुरक्षा के लिहाज से कचहरी व कलेक्ट्रेट के 8 में से 4 गेट स्थाई रूप से बंद होने थे। यह जिला पंचायत, विकास भवन के बगल वाला, साइकिल स्टैंड के बगल से कचहरी जाने वाला और सैनिक कल्याण बोर्ड का गेट था। सीजेएम गेट व कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार को हाइड्रोलिक गेट बनाना और वहां एक एसआई, चार कांस्टेबिल, डेढ़ सेक्शन पीएसी व डीएफएमडी व स्पीड ब्रेकर बनना था। अफसर ने अपने प्लान में साफ लिखा कि संवेदनशीलता को देखते हुए दोनों गेट के समीप कंट्रोल रूम बनाने के साथ एक्सरे मशीन लगाई जाए। कचहरी पुलिस चौकी व फास्ट ट्रैक कोर्ट वाले गेट से सिर्फ पैदल लोगों को आने-जाने दिया जाए। डीएफएमडी के साथ प्रत्येक गेट पर 1 एसआई, 4 पुरुष व 2 महिला कांस्टेबिल नियुक्त किए जाने की बात कही गई। कचहरी व कलेक्ट्रेट परिसर में चेकिंग के लिए सादी वर्दी में सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के लिए लिखा। गोलघर चौराहा, सर्किट हाउस, विकास भवन के सामने, कचहरी व कलेक्ट्रेट परिसर में कुल 12 स्थानों पर क्लोज सर्किट कैमरा लगवाने की आवश्यकता जताई। परिसर में एक कंट्रोल रूम, बैरक, रेडियो संचार पुलिस व्यवस्था व कैंटीन खोला जाना था। परिसर के लिए अलग से बम व डाग स्क्वाएड की तैनाती के साथ चहारदीवारी को पांच फीट ऊंचा करने के बाद तीन फीट तक कंटीले तारों से घेरना था। शाम 6 से सुबह 9 बजे तक सभी प्रवेशद्वार बंद रखना था। आज के हालात, सब टांय-टांय फिस्स : कचहरी व कलेक्ट्रेट परिसर की सुरक्षा के लिहाज से यह फूलप्रूफ प्लान था। आला अफसरों ने पास भी कर दिया लेकिन आदतन कागजी घोड़ा दौड़ाने के बाद सभी जिम्मेदार लोग दफ्तरों में चुपचाप बैठ गए। अभी तक फाइल में दर्ज एक भी प्लान पर अमल नहीं हुआ। हाइड्रोलिक गेट लगा और न कोई कंट्रोल रूम स्थापित हुआ। चेकिंग का आलम यह है कि अधिकतर गेट पर लगे डीएफएमडी शोपीस के अलावा कुछ नहीं। सुरक्षाकर्मियों का ध्यान आने-जाने वालों पर कम बगल के ठेले वालों पर अधिक रहता है। दिन-रात परिसर के सभी गेट खुले रहते हैं। रात में जुआरी और शराबियों का मजमा रहता है लेकिन कोई पूछने वाला नहीं। ऐसे ही हालात में एक और 15 अगस्त आकर गुजर जाएगा, थोड़ी हलचल होगी और सब कुछ फिर शांत हो जाएगा।
Print on 14-08-2012, Varanasi Edition, Page No.4
Thanks to Shri Vikas Bagi, Varanasi and Dainik Jagran for this news. We're appreciate your efforts.
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