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Tuesday 24 December 2013

अधिवक्ताओं की मांग पर महाधिवक्ता श्री वीसी मिश्र ने की घोषणा :-

उत्तर प्रदेश सरकार ने लंबे समय से चली आ रही अधिवक्ताओं की मांग और अपने वादे को पूरा करने की ओर अग्रसर होते हुए निम्न घोषणा सोमवार को इलाहाबाद में न्यासी समिति के अध्यक्ष और महाधिवक्ता श्री वीसी मिश्र ने की:-
  • अधिवक्ता बीमा राशि पचास हजार रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी है।  बीमा योजना के तहत साठ वर्ष की आयु तक अधिवक्ता की आकस्मिक मृत्यु होने की स्थिति में उसके परिवार को पांच लाख रुपये मिलेगा। अभी तक यह राशि पचास हजार रुपये थी।
  • युवा अधिवक्ताओं को दो हजार रुपये प्रति माह भत्ता। 21 से 27 वर्ष तक की आयु के वकीलों को तीन वर्ष तक दो हजार रुपये प्रतिमाह भत्ता दिया जाएगा।
  • सूबे की हर बार एसोसिएशन को ई-लाइब्र्रेरी देने का वादा भी पूरा कर दिया  
  • यूपी बार कौंसिल में वकीलों के लिए एक उच्चीकृत आराम गृह का निर्माण कराया जाएगा।
  • कौंसिल कार्यालय में नवनिर्मित छह हॉल में वकीलों के चैंबर बनेंगे।
यह सभी योजनाएं पहली जनवरी 2014 से लागू हो जाएंगी। न्यासी समिति की बैठक में विशेष सचिव विधि श्री बृजेश कुमार, बार कौंसिल के अध्यक्ष श्री अजय कुमार शुक्ला, उपाध्यक्ष श्री जानकी शरण पांडेय और ट्रस्टी समिति के सदस्य श्री पीके सिंह मौजूद थे। 

Our Current Activities || समिति के आन्दोलन

  • Movement for Advocate Pension (Welfare) Scheme
  • Movement for U.P.Advocate Welfare Trustee Fund/ Insurance Increase upto 5 Lac*.
  • Movement for Stipend for New Advocates'*
  • Movement for Medical Insurance of Advocates'
  • Movement for Advocate Protection & Welfare Act (Compensation to Killed Advocate)

Saturday 14 December 2013

सूचना || अपील :- मताधिकार का प्रयोग अवश्य करे

श्री अशोक कुमार पाण्डेय (अधिवक्ता)
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हमारी समिति के संस्थापक व संयोजक श्री अशोक कुमार पाण्डेय (अधिवक्ता) आगामी दी बनारस बार एसोसिएशन, वाराणसी (बी.बी.ए.) के वार्षिक चुनाव वर्ष - 2014 में वरिष्ठ उपाध्यक्ष (20 वर्ष से अधिक की वकालत) पद पर अपनी उम्मीदवारी आप सब के सम्मुख रख चुके हैं...!

        आप समस्त सम्मानित अधिवक्ता बंधु उनके द्वारा अधिवक्ता कल्याण/हित के लिए किये गए कार्यो से संतुष्ट हो तो सोच-समझकर कर अपने मताधिकार का उपयोग करते हुए श्री अशोक कुमार पाण्डेय (अधिवक्ता) को उक्त चुनाव में विजयी बनाने का कष्ट करें

सधन्यवाद् 

निवेदक - समस्त सदस्यगण व पदाधिकारीगण
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मतदान दिनांक 17-12-2013 को है, 
आप सभी अधिवक्ताओं से निवेदन है कि अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करे
यह राष्ट्र व अधिवक्ता हित में अतिआवश्यक है।

Tuesday 3 December 2013

Happy Advocates' Day || अधिवक्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.....

अधिवक्ता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ। आज के शुभ अवसर पर हमारी समिति स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति “भारत रत्न” डॉ.राजेन्द्र प्रसाद को शत: शत नमन करती है |

स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद का जीवन-परिचय:- 26 जनवरी, 1950 को जब भारत को संविधान के रूप में एक गणतंत्र राष्ट्र का दर्जा दिया गया उसी दिन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के रूप में स्वतंत्र भारत को पहला राष्ट्रपति भी प्राप्त हुआ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर, 1884 को बिहार के एक छोटे से गांव जीरादेई में हुआ था. यह वो समय था जब धर्म के नाम पर भेदभाव जैसी व्यवस्थाएं समाज से पूरी तरह विलुप्त थीं. राजेंद्र जी के भी कई सारे मित्र मुसलमान थे जो उनके साथ मिलकर होली खेलते थे और हिन्दू मुहर्रम वाले दिन ताजिए निकालते थे. एक बड़े संयुक्त परिवार के सबसे छोटे सदस्य होने के कारण इनका बचपन बहुत प्यार और दुलार से बीता. संयुक्त परिवार होने के कारण पारिवारिक सदस्यों के आपसी संबंध बेहद मधुर और गहरे थे. इनके पिता का नाम महादेव सहाय था. डॉ राजेंद्र प्रसाद की प्रारंभिक शिक्षा उन्हीं के गांव जीरादेई में हुई. उस समय यह रिवाज था कि शिक्षा का आरंभ फारसी भाषा से ही किया जाएगा. इसीलिए राजेंद्र प्रसाद और उनके चचेरे भाइयों को पढ़ाने एक मौलवी आते थे. पढ़ाई की तरफ इनका रुझान बचपन से ही था. बाल-विवाह की परंपरा का अनुसरण करते हुए मात्र 12 वर्ष की आयु में इनका विवाह राजवंशी देवी से संपन्न हुआ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने लगातार खराब रहने वाले स्वास्थ्य क असर अपनी पढ़ाई पर नहीं पड़ने दिया. आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने कलकत्ता विश्विद्यालय की प्रवेश परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया. उन्हें 30 रूपए महीने की छात्रवृत्ति भी प्रदान की गई. जीरादेई गांव से पहली बार किसी युवक ने कलकत्ता विश्विद्यालय में प्रवेश पाने में सफलता प्राप्त की थी जो निश्चित ही राजेंद्र प्रसाद और उनके परिवार के लिए गर्व की बात थी. सन 1902 में उन्होंने कलकत्ता प्रेसिडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया. सन 1915 में कानून में मास्टर की डिग्री में विशिष्टता पाने के लिए राजेन्द्र प्रसाद को सोने का मेडल मिला. इसके बाद उन्होंने कानून में डॉक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद का व्यक्तित्व
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म उस काल में हुआ जब ब्रिटिश साम्राज्यवाद पूरी तरह अपने पांव पसार चुका था. खाने-पीने, कपड़े पहनने से लेकर लगभग हर क्षेत्र में ब्रिटिश छाप महसूस की जा सकती थी. लेकिन राजेंद्र प्रसाद परंपरा के अनुसार हमेशा धोती-कुर्ता और सर पर टोपी पहनते थे. वह एक विद्वान और प्रतिभाशाली पुरुष थे. संयुक्त परिवार में सबसे छोटे होने के कारण राजेंद्र प्रसाद का बचपन बहुत दुलार से बीता था. वह एक दृढ़ निश्चयी और उदार दृष्टिकोण वाले व्यक्ति थे. कायस्थ परिवार से संबंधित होने के कारण राजेंद्र प्रसाद थोड़े रूढिवादी विचारधारा वाले थे. उन्होंने स्वयं स्वीकार किया था कि वह ब्राह्मण के अलावा किसी और का छुआ भोजन तक नहीं खाते थे. उन्होंने अपना यह व्यवहार गांधी जी के संपर्क में आने के बाद छोड़ा था.
राजेंद्र प्रसाद की विशिष्ट उपलब्धियां
  • डॉ राजेन्द्र प्रसाद भारत के एकमात्र राष्ट्रपति थे, जिन्होंने लगातार दो बार राष्ट्रपति का पद प्राप्त किया.
  • राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए राजेन्द्र प्रसाद ने सद्भावना के उद्देश्य से कई देशों की यात्राएं भी कीं. उन्होंने इस आण्विक युग में शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
राजेंद्र प्रसाद को दिए गए सम्मान
सन 1962 में अपने राजनैतिक और सामाजिक योगदान के लिए उन्हें भारत के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से नवाजा गया.

राजेन्द्र प्रसाद का निधन
राजनीति से सन्यास लेने के बाद राजेन्द्र प्रसाद ने अपना जीवन पटना के निकट एक आश्रम में बिताया जहां 28 फरवरी, 1963 को उनका निधन हो गया.

राजद्रोह का अपराध क्या है?

Link:-
http://teesarakhamba.blogspot.com/2010/12/blog-post_28.html

Thnaks to तीसरा खंबा : राजद्रोह का अपराध क्या है?

Our Aim

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The Times of India, Kapur : News on Advocate Pension Scheme

The Bihar State Bar Council Advocates' (Welfare) Pension Scheme, 2008